Saturday 28 April 2018

Indu Malhotra, 1st Woman Lawyer Appointed As SC Judge

Senior lawyer Indu Malhotra was sworn in as the judge of the Supreme Court in the presence of Chief Justice of India Dipak Misra. The appointment was made by the President Ram Nath Kovind.

Malhotra has now become the first woman lawyer to be directly appointed as a Supreme Court judge.  In 2007, Mrs Malhotra was only the second woman to be appointed a senior advocate by the apex court, three decades after Leila Seth first made histor 
SSC
HISTORY NOTES: महत्वपूर्ण सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन

प्रार्थना समाज :- 1867 (बॉम्बे)
1. संस्थापक – आत्माराम पांडुरंग
2. सदस्य – एम जी रानाडे, आर जी भंडारकर
3. यह पश्चिम में ब्राह्म समाज से प्रभावित था.

4. प्रार्थना समाज का उद्देश्य आधुनिक ज्ञान के प्रकाश में हिंदू धार्मिक विचार और अभ्यास में सुधार करना था.
5. यह एक भगवान की पूजा का उपदेश देते थे और धर्म को जाति कट्टरता और पुरोहितों के वर्चस्व से मुक्त करने की बात करते थे.
6. तेलुगू सुधार के परिणामस्वरूप इसकी गतिविधियों दक्षिण भारत में भी फैल गई, वीरेसलिंगम पंथुलू ने राजमुंदरी सामाजिक सुधार एसोसिएशन का गठन किया और आंध्र में महिलाओं के उत्थान एवं विधवा पुनर्विवाह के लिए काम किया.
7. रानाडे ने 1884 में पुणे में "डेक्कन एजुकेशनल सोसाइटी" की स्थापना की.
8. रानाडे ने 1891 में महाराष्ट्र में विधवा पुनर्विवाह एसोसिएशन स्थापित किया.
9. डी. के. कर्वे ने 1899 में पुणे में एक विधवा आश्रम की स्थापना की और 1906 में बॉम्बे में भारतीय महिला विश्वविद्यालय की स्थापना की.

ज्योतिबा फुले
1. फुले के सत्य शोधक समाज आंदोलन को निचली जातियों का पहला आंदोलन कहा जा सकता है.
2. लेकिन महिला शिक्षा के क्षेत्र में फुले का कार्य उतना ही महान था.
3. उन्होंने निम्न जाति की मुक्ति के लिए शिक्षा को सबसे महत्वपूर्ण हथियार माना.
4. वह 1851 में पूना में निम्न जातियों की लड़कियों के लिए स्कूल शुरू करने वाले पहले व्यक्ति थे.
5. उन्होंने अछूतों के लिए स्कूल शुरू किया, जिसके लिए उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.
6. वह महाराष्ट्र में विधवा पुनर्विवाह के अग्रणी भी थे.
7. उन्होंने 1873 में सत्य शोधक समाज की स्थापना की.
8. उन्होंने अपनी पुस्तकों जैसे गुलामगिरी के माध्यम से ब्राह्मणवादी विचारधारा की आलोचना की.
9. पुणे के लोगों ने उन्हें 'महात्मा' की उपाधि दी थी.

रामकृष्ण और विवेकानंद
1. रामकृष्ण परमहंस (गदाधर चट्टोपाध्याय) कलकत्ता के दक्षिणेसवार मंदिर के पुजारी थे.
2. उनके महान शिष्य 'नरेंद्र दत्त' जिन्हें 'स्वामी विवेकानंद' के रूप में जाना जाता था, ने उनके धार्मिक संदेश को लोकप्रिय बनाया.
3. उन्होंने भी, अपने गुरु की तरह "सभी धर्मों की आवश्यक एकता का प्रचार किया.”
4. उन्होंने स्वयं वेदांता सीखा जिसे उन्होंने पूरी तरह तर्कसंगत प्रणाली घोषित की.
5. विवेकानंद ने जाति व्यवस्था एवं कर्मकांडों तथा अंधविश्वासों की निंदा की.
6. 1893 में, उन्होंने अमेरिका के शिकागो में हुए विश्व की धार्मिक संसद में "भाई-बहन" संबोधित करके श्रोताओं एवम दुनिया का ह्रदय जीत लिया. वे पश्चिम में हिंदू धर्म की महानता का प्रचार करने वाले पहले भारतीय थे.
7. 1896 में, विवेकानंद ने मानवतावादी राहत और सामाजिक कार्य करने के लिए रामकृष्ण मिशन की स्थापना की. इसमें व्यक्तिगत मोक्ष पर जोर देने की बजाय सामाजिक कल्याण और विशेष रूप से गरीबों की सेवा जोर दिया गया.
8. उन्होंने वेल्लूर और मायावती (अल्मोड़ा) में दो केंद्र स्थापित किए.
9. उनके क्रियान्वयन और राष्ट्रीय उत्थान के दर्शन का भारतीय राष्ट्रवाद पर विशेष रूप से उग्रवादियों पर बहुत प्रभाव पड़ा.
10. उनकी आयरिश शिष्य बहन निवेदिता (मार्गरेट नोबेल) ने अंग्रेजों के खिलाफ क्रांतिकारियों की सक्रिय रूप से मदद की.
11. सुभाष चंद्र बोस ने उन्हें "आधुनिक राष्ट्रीय समय का आध्यात्मिक पिता" कहा.

स्वामी दयानंद सरस्वती
1. जन्म – जिला – मौरावी, गुजरात, 1824
2. बचपन का नाम - मूलशंकर
3. स्वामी पूर्णानंद ने उन्हें 1848 में "दयानंद सरस्वती" नाम दिया.
4. 1861 में उनकी मुलाकात अंधे संत बिरजानंद (उनके आध्यात्मिक शिक्षक) से हुई.
5. आर्य समाज की स्थापना 1875 में हुई – (बाद में इसका मुख्यालय लाहौर स्थानांतरित हो गया)
6. स्वामी विवेकानंद ने "वेदों की और लौटो" का मंत्र दिया.
7. उन्होंने एक पुस्तक “सत्यार्थ प्रकाश (1874) लिखा” जिसमें उनके दार्शनिक और धार्मिक विचार शामिल हैं.
8. उन्होंने वेद को अचूक और सभी ज्ञान के फव्वारे के रूप में माना.
9. उन्होंने मूर्तिपूजा, कर्मकांडों और पुजारियों विशेषकर ब्राह्मणों द्वारा प्रचारित प्रचलित जाति व्यवस्था का विरोध किया.
10. उन्होंने पश्चिमी विज्ञान के अध्ययन का भी समर्थन किया और शिक्षा पर काफी जोर दिया.
11. वह पहला व्यक्ति था जिन्होंने "स्वराज" शब्द का इस्तेमाल किया था.
12. राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी को स्वीकार किया.
13. उन्होंने "शुद्धि आंदोलन" को बढ़ावा दिया.
14. इनका निधन 1883 में अजमेर में हुआ.
15. इनके निधन के बाद, आर्य समाज में शिक्षा के मुददे पर विभाजन हो गया कि यह पश्चिमी शिक्षा या संस्कृत आधारित शिक्षा के रूप मने लोकप्रिय हो.
16. अंग्रेजी शिक्षा समर्थक लाला हंसराज ने लाहौर में “दयानंद एंग्लो-वैदिक कॉलेज” (1886) की स्थापना की.
17. स्वामी श्रद्धानंद (संस्कृत समर्थक) ने हरिद्वार के निकट “गुरुकुल कांगड़ी” (1902) की स्थापना की.
18. आर्य समाजी सामाजिक सुधार के जोरदार अधिवक्ता थे और महिलाओं की दशा में सुधार के लिए और उनके बीच शिक्षा का प्रसार करने के लिए सक्रिय रूप से काम किया था.

थियोसोफिकल सोसाइटी.
1. 1875, न्यूयॉर्क
2. संस्थापक – मैडम ब्लावाट्स्की और कर्नल ओल्कोट
3. वे 1897 में भारत आयीं और 1886 में 'अड्यार' (मद्रास के पास) में अपने मुख्यालय की स्थापना की.
4. 1893 में भारत आए श्रीमती एनी बेसेंट द्वारा दिए गए नेतृत्व के परिणामस्वरूप थियोसोफिस्ट आंदोलन जल्द ही भारत में काफी प्रसारित हुआ.
5. वह आयरिश थीं और इंग्लैंड में फैबियन समाजवादी क्लब की सदस्य थीं.
6. थियोसोफिस्ट ने प्राचीन हिंदू धर्म, पारसीवाद और बौद्ध धर्म के पुनरुत्थान और सुदृढ़ता की वकालत की.
7. उन्होंने आत्मा के उत्प्रवास के सिद्धांत को मान्यता दी और रहस्यवाद एवं यहां तक कि मनोविज्ञान पर भी जोर दिया.
8. श्रीमती बेसेंट ने बनारस में केन्द्रीय हिंदू स्कूल स्थापित किया, बाद में मदन मोहन मालवीय ने इसे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के रूप में विकसित किया.
9. इन्होने “युवाओं की शिक्षा” के लिए भी काम किया.



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Monday 23 April 2018

National Panchayati Raj Day: 24 April


The nation celebrates the National Panchayati Raj Diwas (24th Aril) as this date marks a defining moment in the history of decentralization of political power to the grassroots level. 

Activities of PM Modi on NPRD 2018:
Prime Minister Narendra Modi visited Mandla in Madhya Pradesh on the National Panchayati Raj Day. He launched the Rashtriya Gramin Swaraj Abhiyan, at a public meeting, and addressed Panchayati Raj representatives across the country, from Mandla.

Background:
The Constitution (73rd Amendment) Act, 1992 that came into force with effect from 24th April 1993 has institutionalized Panchayati Raj through the village, Intermediate and District level Panchayats. The impact of the 73rd Amendment in rural India is very visible as it has changed power equations irreversibly. Accordingly, the Government of India decided in consultation with the States to celebrate 24th April as National Panchayati Raj Day. Ministry of Panchayati Raj organises National Conference on 24th April every year to commemorate the National Panchayati Raj Diwas.


Static/Current Takeaways Important for NABARD Grade-A Exam 2018-
  • Narendra Singh Tomar is the Cabinet Minister of Panchayati Raj.
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